मानव कंकाल तंत्र क्या होता है

कंकाल तंत्र क्या होता है 

आज हम जानेंगे की कंकाल तंत्र क्या होता इसके बारे में पूरी जानकारी तो चाहिए जानते है 

मानव शरीर का ढाँचा हड्डियों का बना होता है | सभी हड्डियां एक दुसरे से जुड़ी रहती है | हड्डियों के ऊपर मांसपेशियां होती है जिनकी सहायता से हड्डियों के जोड़ों को हिलाया डुलाया जाता है | हड्डियाँ एवं मांसपेशियां शरीर के आंतरिक अंगों की सुरक्षा करती है | मनुष्य के शरीर में 206 हड्डियाँ पायी जाती है | मानव शरीर का ढाँचा बनाने वाले अंग को कंकाल तंत्र कहते है |

कंकाल तंत्र के कार्य :-

कंकाल शरीर को एक निश्चित आकार एवं आकृति प्रदान करता है | इससे शरीर को सहारा मिलता है | कशेरुकियों का शारीरिक ढ़ांचा कंकाल का बना होता है जिससे शरीर के अन्य भागों को आधार मिलता है | कंकाल से शरीर के कोमल अंगों की रक्षा होती है | यह शरीर के कोमल अंगों को बाहरी आघातों से बचाता है |
मानव कंकाल तंत्र क्या होता है

कंकाल तंत्र के बहुत से भाग लीवर का कार्य है जिसके कारण प्राणियों को प्रचलन में सुगमता होती है | कंकाल में मांसपेशियों को जोड़ने के लिए उपयुक्त स्थान मौजूद होती है | कंकाल की मुज्जा गुहा (Marrow cavity) वसा एकत्रित करने का काम करती है |कर्ण अस्थियाँ ध्वनि कम्पनों को आंतरिक कर्ण तक पहुँचाने में सहायक होती है | जीवित अंत: कंकाल लाल रुधिर कणिकाओं का निर्माण करता है | कंकाल में कैल्शियम एवं फास्फोरस संचित रहता है जो आवश्यकता पड़ने पर समय समय पर शरीर को उपलब्ध होता है |

कंकाल तन्त्र के प्रकार :-

कंकाल को शरीर में उपस्थिति के आधार पर दो भाग होते है | 

1. बाह्य कंकाल 

2. अन्त: कंकाल

1. बाह्य कंकाल (Exo- skeleton) :- 

शरीर की बाहरी सतह पर पाए जाने वाले कंकाल को बाह्य कंकाल कहा जाता है | बाह्य कंकाल की उत्पति भ्रूणीय एक्टोडर्म या मीसोडर्म से होती है |त्वचा की उपचर्म या चर्म ही बाह्य कंकाल के रूप में रूपांतरित हो जाती है | बाह्य कंकाल शरीर के आंतरिक अंगों की रक्षा करता है तथा यह मृत होता है | मत्स्यों में शल्क , कछुओं में ऊपरी कवच, पक्षियों में पिच्छ तथा स्तनधारियों में बाल बाह्य कंकाल होते है जो इन प्राणियों को अत्यधिक सर्दी एवं गर्मी से सुरक्षित रखते है |

2. अंत:कंकाल (Endo -skeleton):- 

शरीर के अंदर पाए जाने वाले कंकाल को अंत: कंकाल कहते है | इसकी उत्पति हभ्रूणीय मिसोडर्म से होती है | अंत:कंकाल सभी केशेरुकियों में पाया जाता है | केशुरुकियों में अंत:कंकाल ही शरीर का मुख्य ढांचा बनाता है | यह मांसपेशियों (Muscles) से ढंका रहता है | संचानात्मक दृष्टि से अंत:कंकाल दो भागों से मिलकर बना होता है - (a) अस्थि एवं (b) उपास्थि |

(a) अस्थि (Bone) :- 

अस्थि एक ठोस , कठोर एवं मजबूत संयोजी ऊतक (Connective tissue) है जो तन्तुओं एवं मैट्रिक्स (Matrix) का बना होता है | इसके मैट्रिक्स में कैल्सियम और मैग्नीशियम के लवण पाए जाते हैं तथा इसमें अस्थि कोशिकाएं एवं कोलेजन तंतु व्यवस्थित होते हैं | कैल्सियम एवं मैग्नीशियम के लवणों की उपस्थिति के कारण ही अस्थियाँ कठोर होती है | प्रत्येक अस्थि के चारों ओर तंतुमय संयोजी ऊतक से निर्मित एक दोहरा आवरण पाया जाता है जिसे परिअस्थिक (Periosteum) कहते हैं | इसी परिअस्थिक के द्वारा लिगामेंट्स(Ligaments) ,टेंडन्स (Tendens) तथा दूसरी मांसपेशियां जुडी होती है | मोटी एवं लम्बी अस्थियों में एक प्रकार की खोखली गुहा पायी जाती है , जिसे मज्जा गुहा (Marrow cavity) कहते हैं | मज्जा (Bone marrow) कहते हैं | अस्थि मज्जा मध्य में पीली तथा अस्थियों के सिरों पर लाल होती है | इन्हें क्रमश : पीली अस्थि मज्जा (Yellow bone marrow) तथा लाल अस्थि मज्जा (Red bone marrow) कहते हैं |लाल अस्थि मज्जा लाल रुधिर कणिकाओं (RBCs) का निर्माण करती है जबकि पीली अस्थि मज्जा श्वेत रुधिर कणिकाओं (WBCs) का निर्माण करती है | लाल अस्थि मज्जा केवन स्तनधारियों में पायी जाती है |

अस्थि के प्रकार :-

 विकास के आधार पर अस्थियाँ दो प्रकार की होती है | ये हैं -1. कलाजत अस्थि (Investing bone) एवं 2. उपस्थिजात (Cartilage bone)| 

1. कलाजात अस्थि (Investing bone):- 

यह अस्थि त्वचा के नीचे संयोजी ऊतक की झिल्लियों से निर्मित होती है | इसे मेम्ब्रेन अस्थि (Membrane bone) भी कहते हैं | खोपड़ी (Skull) की सभी चपटी अस्थियाँ कलाजात अस्थियाँ होती है |

2. उपास्थिजात अस्थि (Cartilage bone):-

 ये अस्थियाँ सदैव भ्रूण की उपास्थि को नष्ट करके उन्ही के स्थानों पर बनती है | इस कारण इन्हें रिप्लेसिंग बोने (Replacing bone) भी कहा जाता है | केशेरुक दंड (Veterbral column) तथा पैरों की अस्थियाँ उपास्थिजात अस्थियाँ होती है |

(b) उपास्थि (Cartilage) :-

 उपास्थि का निर्माण कंकाली संयोजी ऊतकों से होता है | यह भी एक प्रकार का संयोजी ऊतक होता है | यह अर्द्ध ठोस , पारदर्शक एवं लचीले ग्लाईकोप्रोटीन से बने मैट्रिक्स से निर्मित होता है | उपास्थि का मैट्रिक्स थोडा कड़ा होता है | इसके मैट्रिक्स के बीच में रिक्त स्थान में छोटी छोटी थैलियाँ होती है , जिसे लैकुनी (Lacunee) कहते हैं | लैकुनी में एक प्रकार का तरल पदार्थ भरा रहता है | लैकुनी में कुछ जीवित कोशिकाएं (Living cells) भी पायी जाती हैं , जिसे कोंड्रियोसाईट(Chondriocyte) कहते हैं | इसके मैट्रिक्स में इलास्टिन तन्तु एवं कोलेजन भी पाए जाते हैं | उपास्थि के चारों ओर एक प्रकार की झिल्ली (Membrane) पायी जाती है जिसे पेरीकोड्रियम (Perichondrium) कहते हैं |

मानव कंकाल तन्त्र (Human skeleton system) :-

 मनुष्य के कंकाल में कुल 206 अस्थियाँ होती हैं | मनुष्य के कंकाल को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है - 

(A) अक्षीय कंकाल (Axial skeleton) :-

 इसके अंतर्गत खोपड़ी (Skull), केशुरुक दंड (Vertebral column) तथा छाती की अस्थियाँ आती हैं |

(B) अनुबंधी कंकाल (Appendicular skeleton) :-

इसके अंतर्गत मेखलाएँ (Girdles) तथा हाथ - पैरों की अस्थियाँ आती हैं |

मानव कंकाल तंत्र क्या होता है

(A) अक्षीय कंकाल (Axial skeleton) :-

 शरीर का मुख्य अक्ष बनाने वाले कंकाल को अक्षीय कंकाल कहते हैं | इसके अंतर्गत खोपड़ी , कशेरुक दंड एवं छाती की अस्थियाँ आती हैं | 

(a) खोपड़ी (Skull):- 

मनुष्य की खोपड़ी में कुल 22 अस्थियाँ होती हैं | इनमें से 8 अस्थियाँ संयुक्त रूप से मनुष्य के मस्तिष्क को सुरक्षित रखती है| इन अस्थियों से बनी रचना को कपाल (Cranium) कहते हैं | ये सभी अस्थियाँ सीवनों (Sutures) के द्वारा जुडी रहती है | इनके अतिरिक्त 14 अस्थियाँ और होती हैं जो चेहरे को बनाती हैं | मनुष्य की खोपड़ी में महारन्ध्र (Foramen)magnum ) नीचे की ओर होता है | महारन्ध्र के दोनों ओर अनुकपाल अस्थिकंद (Occipital Condyles) होते हैं , जो एटलस कशेरुक (Atlas veriebra) के अवतलों में स्थित होते हैं |

खोपड़ी की मुख्य अस्थियाँ निम्न हैं - 1. फ्रांटल (Frontal), 2. पेराइटल(Parietal) , 3. ऑक्सीपीटल(Occipital) , 4. टेम्पोरल (Temporal),5. मेलर(Maler),6. मैक्सिला (Maxilla) , 7. डेंटरी(Dentary) ,8.नेजल(Nasal)|

कशेरुक दंड (Vertebral column):-

मनुष्य का कशेरुक दंड 33 कशेरुकों से मिलकर बना होता है | मनुष्य की पृष्ठ सतह पर मध्य में सिर से लेकर कमर तक एक लम्बी , मोती एवं छड के समान अस्थि पायी जाती है , जिसे कशेरुक दंड (Vertebral column) कहते हैं | सभी कशेरुक उपस्थि की गद्दियों द्वारा जुड़े रहते हैं | इन गद्दियों द्वारा से कशेरुक दंड लचीला रहता है तथा ये बाहरी आघातों को भी सोख लेती हैं| कशेरुक दंड का विकास नोटोकार्ड (Notochord) से होता है | कशेरुक दंड का पहला कशेरुक एटलस कशेरुक दंड गर्दन तथा धड़ को सपोर्ट प्रदान करता है | इस प्रकार यह मनुष्य को खड़े होकर चलने , खड़े होने आदि में मदद करता है | यह मेरुरज्जु को घेरता है और सुरक्षा प्रदान करता है | कशेरुक दंड गर्दन तथा धड़ को लचक प्रदान करते है जिससे मनुष्य किस भी दिशा में अपनी गर्दन और धड़ को मोड़ने में सफल होता है |

(c) स्टर्नम (Sternum) :-

 पसलियों को आपस में जोड़ने वाली अस्थि स्टर्नम कहलाती है | यह वक्ष के बीचोबीच स्थित होती है | 

(d) पसलियाँ (Ribs):-

 मनुष्य में 12 जोड़ी पसलियाँ पायी जाती हैं 

(B) अनुबंधी कंकाल (Appendicular skeleton):-

 इसके अंतर्गत मेखलाएँ (Girdles) तथा हाथ पैरों की अस्थियाँ आती हैं |

(a) मेखलाएँ (Girdles) :-

मनुष्य में अग्रपाद तथा पश्चपाद को अक्षीय कंकाल पर साधने के लिए दो चाप पाए जाते हैं , जिन्हें मेखलाएँ (Girdles) कहते हैं | अग्रपाद की अस्थि ह्यूमरस(Humurus) एवं श्रोणी मेखला से पश्च पाद की अस्थि फिमर (Femur) जुडी होती हैं | ये अस्थियाँ गुहाओं में व्यवस्थित होती हैं जिन्हें एसिटेबुलम (Acetabulum) कहते हैं |

(b) अंसमेखला तथा हाथ की अस्थियाँ (Bones of dectoral girdle and hand) :-

मनुष्य की असंमेखला के दोनों भाग अलग अलग होते हैं | इसके प्रत्येक भाग में केवल एक चपटी व् तिकोनी अस्थि होती है , जिसे स्कैपुला (Scapula) कहते हैं | यह आगे की पसलियों को पृष्ठ तल की ओर ढके रहती हैं | इसी सिरे पर एक गोल गड्डा होता है . जिसे ग्लानॉइड (Glenoid cavity) कहते हैं | ग्लीनॉइड गुहा में ह्यूमरस का सिर जुड़ा रहता है | ग्लीनॉइड गुहा के निकट ही एक प्रवर्द्ध होता है जिसे कोरोकाइड प्रवर्द्ध कहते हैं | अंसमेखला हाथ की अस्थियों को अपने से जोड़ने के लिए संधि प्रदान करती हैं | यहह हृदय तथा फेफड़ों को सुरक्षा प्रदान करती है | यह मांसपेशियां को अपने से जोड़ने के लिए स्थान प्रदान करती है | मनुष्य के हाथ की अस्थियों में ह्यूमरस , रेडियस अलना, कार्पलस , मेटाकार्पल्स तथा फैलेंजस होती है | मनुष्य की रेडियस अलना जुड़ी न होकर एक दुसरे से स्वतंत्र होती है |

(c) श्रोणि मेखला तथा पैर की अस्थियाँ (Bones of Pelvic girdle and legs):-

मनुष्य की श्रोणि मेखला तीन प्रकार की अस्थियों से मिलकर बनी होती है | ये तीनों अस्थियाँ हैं - इलियम , इश्चियम तथा प्युबिस| व्यस्क में ये तीनों अस्थियाँ आपस में जुडी रहती हैं | प्युबिस अधर तल पर दूसरी ओर की प्युबिस से , इलियम आगे की ओर सेंक्रम से तथा इश्चियम पृष्ठ तल की ओर दूसरी ओर इश्चियम से जुडी रहती है | इलियम , इश्चियम तथा प्युबिस के संधि स्थान एक गड्डा होता है जिसे एसिटेबुलम कहते हैं | एसिटेबुलम में फिमर अस्थि का सिर जुड़ा रहता है | श्रोणि मेखला पैरों की अस्थियों को अपने से जोड़ने के लिए संधि स्थान प्रदान करती है | यह अंतरांगो को सुरक्षा प्रदान करती है | मनुष्य के पैर में फीमर, टिबियो फिबुला , टॉर्सल्स तथा मेटा टॉर्सल्स अस्थियाँ होती हैं | इनमें टिबियोफिबुला मुक्त रहती है | फिमर तथा टिबियोफिबुला के संधि स्थान पर एक गोल अस्थि होती है , जिसे धुटने की अस्थि या पटेला (Patella) कहते हैं | इस जोड़ पर मनुष्य का पैर केवल एक और ही मुड़ सकता है |टॉर्सल्स में से एक बड़ी होती है जो ऐड़ी बनाती है | तलवे की अस्थियाँ मेटाटॉर्सल्स कहलाती है | अंगूठे में केवल दो तथा अन्य अँगुलियों में तीन तीन अंगुलास्थियां होती है |

अस्थि और उपास्थि में अंतर 

1. अस्थि :- इसका मैट्रिक्स ओसीन का बना होता है |

• उपास्थि :- इसका मैट्रिक्स कोंड्रिन का बना होता है |

2. अस्थि :- इसमें सूक्ष्म नलिकायें उपस्थित होती हैं जिनमें उपस्थित रुधिर कोशिकाओं द्वारा इनका पोषण होता है |

• उपास्थि :- इनमें सूक्ष्म नलिकाओं (Canaliculi) का आभाव होता है जिसके कारण इनका पोषण लसीकाओं द्वारा होता है |

3. अस्थि :- इनमें अस्थि मज्जा (Bone marrow) उपस्थित होती है | अत: इनमें लाल रक्त कणिकाएं (RBCs) बनती है |

• उपास्थि :- इनमें अस्थि मज्जा का आभाव होता है | अत: इनमें लाल रक्त कणिकाएं (RBCs) नहीं बनती हैं |

4. अस्थि :- इनमें कोशिकाएं विभाजित नहीं होती है | इनकी संख्या ऑस्ट्रियोब्लास्ट्स के विभाजन से बढती हैं |

• उपास्थि :- इनकी कोशिकाओं में विभाजन की क्षमता होती है जिससे ये संख्या में बढती रहती है |

5. अस्थि :- इनमें कोशिकाएं अनियमित आकार की होती हैं और प्रत्येक रिक्तिका में एक ही कोशिका होती है जिसमें प्रवर्ध पाए जते हैं।

• उपास्थि :- इनकी कोशिकाएं अर्द्धगोलाकार होती हैं जिनमे एक से अधिक रिक्तिकाएं होती हैं और प्रवर्धों का आभाव होता है |

कंकाल तंत्र से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न

जीवविज्ञान बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर (MCQs) का यह सेट "गति और गति - कंकाल प्रणाली - 1" पर केंद्रित है।

1. इनमें से कौन कंकाल तंत्र का कार्य नहीं है?

ए) खनिज भंडारण

बी) अंगों की सुरक्षा

सी) आंदोलन

डी) चयापचय

उत्तर देखें

उत्तर: डी

व्याख्या: कंकाल प्रणाली हड्डियों और कार्टिलेज से बनी होती है। कंकाल प्रणाली के कई महत्वपूर्ण कार्य हैं, जिसमें खनिजों का भंडारण, महत्वपूर्ण अंगों की सुरक्षा, समर्थन और गति शामिल हैं।

2. उपास्थि किस प्रकार का ऊतक है?

ए) पेशी

बी) उपकला

सी) संयोजी

डी) तंत्रिका

उत्तर देखें

उत्तर: c

व्याख्या: कंकाल प्रणाली हड्डियों और कार्टिलेज से बनी होती है। हड्डियां और कार्टिलेज दोनों ही विशेष संयोजी ऊतक हैं। हड्डियों के विपरीत कार्टिलेज में थोड़ा लचीला मैट्रिक्स होता है, जिसमें एक कठोर मैट्रिक्स होता है।

3. किसकी उपस्थिति हड्डियों के मैट्रिक्स को कठोर बनाती है?

a) फॉस्फेट लवण

b) चोंड्रोइटिन लवण

c) कैल्शियम लवण

d) सोडियम लवण

उत्तर देखें

उत्तर: c

व्याख्या: हमारे कंकाल तंत्र को बनाने वाली हड्डियाँ और उपास्थि विशिष्ट संयोजी ऊतक हैं। कैल्शियम लवण की उपस्थिति के कारण हड्डियों का मैट्रिक्स कठोर होता है, जबकि कार्टिलेज थोड़ा लचीला होता है।

4. किसकी उपस्थिति कार्टिलेज के मैट्रिक्स को थोड़ा लचीला बनाती है?

a) चोंड्रोइटिन लवण

b) फॉस्फेट लवण

c) कैल्शियम लवण

d) सोडियम लवण

उत्तर देखें

उत्तर: एक

व्याख्या: हमारे कंकाल तंत्र को बनाने वाली हड्डियाँ और कार्टिलेज विशिष्ट संयोजी ऊतक हैं। उपास्थि के मैट्रिक्स में चोंड्रोइटिन लवण की उपस्थिति मैट्रिक्स को थोड़ा लचीला बनाती है।

5. हमारे पास कितनी हड्डियाँ होती हैं?

ए) 273

बी) 270

सी) 206

डी) 201

उत्तर देखें

उत्तर: b

व्याख्या: मानव शरीर में 206 हड्डियाँ होती हैं। हालांकि, जन्म के समय, मानव शरीर में 270 हड्डियां होती हैं। जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, कुछ हड्डियाँ आपस में जुड़ जाती हैं और इसलिए हड्डियों की संख्या 270 से घटकर 206 हो जाती है।

6. अक्षीय कंकाल में कितनी हड्डियाँ मौजूद होती हैं?

ए) 126

बी) 65

सी) 80

डी) 106

उत्तर देखें

उत्तर: c

व्याख्या: कंकाल प्रणाली की हड्डियों को दो भागों में बांटा गया है-अक्षीय कंकाल और परिशिष्ट कंकाल। अक्षीय कंकाल में 80 हड्डियां होती हैं। ये हड्डियाँ शरीर की मुख्य धुरी के साथ मौजूद होती हैं।

7. इनमें से कौन सी हड्डी अक्षीय कंकाल का हिस्सा नहीं है?

a) हंसली

b) खोपड़ी

c) उरोस्थि

d) पसली

उत्तर देखें

उत्तर: एक

व्याख्या: कंकाल प्रणाली की हड्डियों को दो भागों में बांटा गया है- अक्षीय कंकाल और परिशिष्ट कंकाल। खोपड़ी, उरोस्थि, कशेरुक स्तंभ और पसलियां शरीर के अक्षीय कंकाल का निर्माण करती हैं।

8. खोपड़ी में चेहरे की कितनी हड्डियाँ होती हैं?

ए) 22

बी) 8

सी) 12

डी) 14

उत्तर देखें

उत्तर: d

व्याख्या: खोपड़ी 22 हड्डियों से बनी होती है। इन हड्डियों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है- कपाल की हड्डियाँ और चेहरे की हड्डियाँ। 8 कपालीय हड्डियाँ और 22 चेहरे की हड्डियाँ होती हैं। चेहरे की हड्डियाँ खोपड़ी के अग्र भाग का निर्माण करती हैं।

9. हाइपोइड हड्डी का आकार कैसा होता है?

ए) एस - आकार

बी) एल - आकार

सी) यू - आकार

डी) सी - आकार

उत्तर देखें

उत्तर: c

व्याख्या: हाइपोइड हड्डी एक U- आकार की हड्डी होती है जो मुख गुहा के आधार पर स्थित होती है। यह एक ही हड्डी है और खोपड़ी की हड्डियों के साथ शामिल है। खोपड़ी में कुल 22 हड्डियां होती हैं।

10. भीतरी कान में तीन हड्डियां होती हैं- मैलियस, इंकस और स्टेप्स। सही या गलत?

ए) सच

बी) गलत

उत्तर देखें

उत्तर: b

व्याख्या: मध्य कान में तीन हड्डियां होती हैं- मैलियस, इनकस और स्टेप्स। उन्हें क्रमशः हथौड़े, निहाई और रकाब भी कहा जाता है। मैलियस, इंकस और स्टेप्स को सामूहिक रूप से ईयर ऑसिकल्स कहा जाता है।

11. मनुष्य के पास कितने पश्चकपाल शंकुधारी होते हैं?

ए) 4

बी) 1

सी) 3

डी) 2

उत्तर देखें

उत्तर: d

व्याख्या: मनुष्य के पास दो पश्चकपाल शंकुधारी होते हैं। इसलिए, मनुष्यों के पास एक द्विबीजपत्री खोपड़ी होती है। पश्चकपाल शंकुओं का कार्य खोपड़ी क्षेत्र को कशेरुक स्तंभ के श्रेष्ठ क्षेत्र के साथ स्पष्ट करना है।

12. मनुष्य के पास कितने कशेरुक हैं?

ए) 33

बी) 30

सी) 26

डी) 22

उत्तर देखे

उत्तर: c

व्याख्या: मनुष्य के कशेरुक स्तंभ में 26 कशेरुक होते हैं। इन कशेरुकाओं को पांच अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है, अर्थात् ग्रीवा (7), थोरैसिक (12), काठ (5), त्रिक (1-फ्यूज्ड) और कोक्सीजील (1-फ्यूज्ड) क्षेत्र।

13. प्रत्येक कशेरुका के मध्य खोखला भाग को क्या कहते हैं?

a) स्पाइनल कैनाल

b) वर्टेब्रल कैनाल

c) न्यूरल कैनाल

d) एक्सियल कैनाल

उत्तर देखें

उत्तर: c

व्याख्या: मनुष्य के कशेरुक स्तंभ में 26 कशेरुक होते हैं। कशेरुक स्तंभ के प्रत्येक कशेरुका के केंद्रीय खोखले भाग को तंत्रिका नहर के रूप में जाना जाता है। रीढ़ की हड्डी तंत्रिका नहर से होकर गुजरती है।

14. कौन सी कशेरुका पश्चकपाल शंकुओं से जुड़ती है?

a) एटलस

b) अक्ष

c) त्रिक कशेरुका

d) अनुमस्तिष्क कशेरुका

उत्तर देखें

उत्तर: एक

व्याख्या: मनुष्य के पास दो पश्चकपाल शंकुधारी होते हैं। पश्चकपाल शंकु का कार्य कशेरुक स्तंभ के पहले कशेरुकाओं के साथ खोपड़ी क्षेत्र को स्पष्ट करना है, जिसे एटलस के रूप में जाना जाता है।

15. कशेरुक स्तंभ को कितने क्षेत्रों में विभाजित किया गया है?

ए) 6

बी) 5

सी) 7

डी) 4

उत्तर देखें

उत्तर: b

व्याख्या: मनुष्य के कशेरुक स्तंभ में 26 कशेरुक होते हैं। इन कशेरुकाओं को पांच अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है, अर्थात् ग्रीवा (7), थोरैसिक (12), काठ (5), त्रिक (1-फ्यूज्ड) और कोक्सीजील (1-फ्यूज्ड) क्षेत्र।

उम्मीद करता हूँ की मानव कंकाल तंत्र आप को अच्छे से समझ में आया होगा। यदि फिर भी कोई प्रश्न आप के मन में है तो हमें कमेंट करें। हमें कमेंट का आंसर देने में अच्छा लगता है।

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